किस्मत – नियत
“बक्श देता है ‘खुदा’ उनको,
जिनकी ‘किस्मत’ ख़राब होती है…
वो हरगिज नहीं ‘बक्शे’ जाते है,
जिनकी नियत खराब होती है…”
न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा,
न तारिफ तेरी होगी, न मजाक मेरा होगा.
गुरुर न कर “शाह-ए-शरीर” का………..
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा !!!